
बिहार की सियासत में नई हलचल पैदा हो गई है। AIMIM के विधायक मुर्शीद आलम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना राजनीतिक गुरु बताया है। मुर्शीद आलम का कहना है कि 2014 में नीतीश कुमार ने उन्हें जेडीयू में राजनीति की राह दिखाई और उन्होंने अपनी सियासी उन्नति में मुख्यमंत्री का योगदान कभी नहीं भुलाया। जोकीहाट सीट से चुने गए इस विधायक ने हाल ही में नीतीश से मुलाकात कर अपने क्षेत्र के लिए दो नए महाविद्यालय और एक अतिरिक्त अंचल की मांग भी रखी।
सियासी अर्थ और संभावनाएं
मुर्शीद आलम की तारीफ और उनके नीतीश कुमार के करीब आने से सियासत में अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या AIMIM के विधायक जेडीयू के साथ किसी राजनीतिक समीकरण में शामिल हो सकते हैं। हालांकि AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने मुलाकात को केवल सीमांचल के मुद्दों तक सीमित बताते हुए राजनीतिक अर्थ न निकालने की अपील की। बावजूद इसके, पिछली बार AIMIM के कई विधायक जेडीयू या आरजेडी में शामिल हो चुके हैं, जिससे संभावित गठबंधन को लेकर चर्चाएं बढ़ गई हैं।
जेडीयू और बीजेपी का परिदृश्य
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 85 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि सहयोगी बीजेपी 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या AIMIM के विधायकों को जेडीयू में शामिल कर अपनी संख्या बढ़ाने की रणनीति अपनाई जा सकती है।
AIMIM के साथ सियासी समीकरण पर सवाल
मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र से चुने गए AIMIM के पांचों विधायक – मुर्शीद आलम, अख्तरुल ईमान, गुलाम सर्वर, सरवर आलम और मोहम्मद तौसीफ आलम – की नीतीश कुमार के साथ बढ़ती नजदीकियां बिहार की सियासत में नए समीकरण खड़े कर सकती हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या AIMIM और जेडीयू के बीच कोई नया 'खेला' सामने आएगा।